क्या आपको भी लिखना पसंद है और रचनात्मक लेखन के बारे में कुछ जानकारियां जुटाना चाहते हैं
जब कभी भी हम किसी भी तरह का रचनात्मक लेखन शुरू करते हैं तो सर्वप्रथम हमें यह ध्यान देना जरूरी है कि हम उसको लेकर कितने उत्साहित हैं कितने जागरूक हैं और उससे संबंधित विषयों की लगातार पड़ताल करके कितनी जानकारियां इकट्ठा कर पाने में सक्षम है हालांकि शुरुआती दौर में समस्या उत्पन्न हो सकती हैं इसलिए हमें रचनात्मक लेखन से जुड़े लोगों के साथ अपने संबंध कायम करने चाहिए कुछ अच्छे रचनाकारों को पढ़ना चाहिए साथ ही केवल और केवल पढ़ना ही नहीं बल्कि उनके के बारे में जानकारियां इकट्ठा करना भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि वह अपने समय में इतने प्रसिद्ध क्यों है या थे उनकी रचनाओं में ऐसी क्या विशेषता,अलगपन होगा जो उनको साहित्यिक दुनिया अधिक लोकप्रिय बनाने में सक्षम हो पाया इसका आभास आप निरंतर करते रहें और प्रयास करें अपनी कला को अपने ढंग से प्रस्तुत करने की हमेशा याद रहे किसी रचनाकार व उसकी रचनाओं से प्रेरणा लें ना कि उसकी नकल करे क्योंकि पहचान उसी की होती है जो कुछ नया करता है अपने आसपास हो रही घटित घटनाओं देखने का अलग नजरिया दे जो एक नये रूप से उस विषय पर प्रकाश डाल सके आसपास चल रही घटनाओं से आप शुरुआत कर सकते हैं
शुरुआत कैसे करें रचनात्मक लेखन की
रचनात्मक लेखन की शुरुआत आप व्यक्तिगत सुझाव अनुभव यह सामाजिक बुराइयों अच्छाइयों से भी शुरू कर सकते हैं कई बार जब हम लिखना शुरू करते हैं तो हम सोचते हैं कि हमें साहित्य की विधाओं के बारे में इतनी जानकारियां नहीं है क्या लिखने का कोई एक व्यवस्थित तरीका होता है या कोई ऐसी रूपरेखा जिसके अंतर्गत रहकर ही लिखा जाता है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है आप स्वतंत्र लेखन के अंदर किसी बंदिश में नहीं होते यदि हम आधुनिक साहित्य की बात करें तो उसमें ऐसे कई सामानों को तोड़ा गया है जिसमें हम बने हुए थे या यूं कह लें कि जिसमें पुराने साहित्य लिपटे हुए थे और मैं पन्ने उन सभी बंद दरवाजों को खोल डाला आप स्वतंत्र भाव भाव से किसी भी विधा में लिख सकते हैं चाहे वह कविता हो कहानी हो निबंध हो व्यंग्यात्मक कोई बात हो कोई टिप्पणी हो या फिर कुछ और नया तरीका जिससे आप अपनी बात आम लोगों तक बड़ी सरलता से पहुंचा पाए उस विधा का जन्म आप स्वयं दे सकते हैं
आप कैसा लिख रहे हैं इसका पता आप कैसे लगाएं
जब आप लिखना शुरू करें तो अपने मनोबल को कम ना होने दें और उसको स्थिर रखें शुरुआती दौर में गलतियां होती है और यह स्वाभाविक प्रक्रिया है इसमें घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है आज गलतियां होंगी तभी उनमें सुधार होगा और जब सुधार होगा तभी बदलाव आएगा जो आने वाले भविष्य के लिए एक बेहतर विकल्प के तौर पर सामने उभर कर आएगा
इससे मेरा तात्पर्य यह है कि आप जो कुछ भी लिखते हैं वह कैसी भी रचना हो सकती है उसको आप अपने निजी यारों रिश्तेदारों बड़े भाई छोटे भाई माता-पिता या अन्य किसी परिवार के सदस्यों को सुना सकते हैं पढ़ा सकते हैं पर केवल पढ़ा देना या सुना देना ही काफी नहीं उसके बाद उनकी क्या प्रतिक्रिया क्या फीडबैक उनसे आ रहा है वह अच्छा भी हो सकता है पूरा भी हो सकता है लेकिन आपको बिल्कुल उत्साहित नहीं होना और ना ही बिल्कुल निराश होना है आपको अपना बड़प्पन दिखाते हुए उसको स्वीकार करना है चाहे वह कैसा भी फीडबैक हो ।
अपनी रचनाओं में प्रभाव कैसे लाएं
आप लगातार निरंतर प्रयास करते रहें इसका असर आपको धीरे-धीरे अपनी लेखनी में मिलने लगेगा चाहे आप कुछ भी लिखते हैं साथ-साथ आप अन्य रचनाओं को भी पढ़ते रहें कुछ नए शब्दों को जानने और सीखने की अभिलाषा को हमेशा जगाए रखें और भारतीयों के लिए यह एक भाग्यशाली बात है कि यहां पर हर भाषा में तमाम शब्द जो सुनने में बेहद रोचक लगते हैं जिन्हें हम सीख सकते हैं आपको जितना ज्यादा भाषाओं और शब्दों का ज्ञान होगा आपके सोचने समझने पर लिखने की प्रक्रिया में भी विस्तार होगा आपकी बातों में गहराई छलक ना स्वाभाविक हो जाएगा।
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