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Showing posts from September, 2020

सोशल मीडिया और लोकतंत्र - ( Democracy and social media)

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सोशल मीडिया और लोकतंत्र सोशल मीडिया और लोकतंत्र के इस विषय में हम चर्चा करेंगे कि सोशल मीडिया की भूमिका लोकतंत्र को कितना प्रभावित कर रही है वर्तमान समय में लोकतंत्र और अधिक मजबूत विस्तृत हुआ है क्योंकि सोशल मीडिया ने कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लोकतंत्र के भीतर चल रही गतिविधियों क्रियाकलापों पर अपनी प्रतिक्रिया देने का सीधा, सरल अवसर व मंच प्रदान किया है हालांकि अपनी प्रतिक्रिया देने के अवसर लोकतंत्र के प्रति पहले भी मौजूद थे लेकिन वह कहीं ना कहीं एक सीमित मात्रा में एक तरफा ही हुआ करते थे सोशल मीडिया ने बेहद कम समय में भारतीय समाज में मजबूती से अपनी पहचान कायम की है अपनी प्रकृति और स्वभाव में बेहद लोकतांत्रिक सोशल मीडिया ने भौगोलिक सामाजिक आर्थिक वर्ण और लिंग की सभी सीमाएं तोड़कर ना सिर्फ पारंपरिक मीडिया को चुनौती दी है बल्कि वही सही मायनों में आम आदमी का माध्यम बन गया है इसने संप्रेषण और संवाद को सरल त्वरित सस्ता समय से पहले और लगातार बना दिया है इसके द्वारा एकांत में बैठा प्रयोक्ता भी अपनी निजता के साथ समस्त आभासी संसार की अपूर्व रचना शक्ति को सामने लाने ...

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का साहित्यक चिंतन का दायरा कितना व्यापक है

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सूर्यकांत निराला परिचय सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी काव्य के आधुनिक काल के छायावाद युग के चार प्रमुख स्थानों में से एक माने जाते हैं जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं सन 1898 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल गांव में जाने माने साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म हुआ निराला को सर्वाधिक प्रसिद्ध दी सन 1916 में मिली जब उन्होंने कविता जूही की काली रात को रचा तब से वह मुक्त छंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं सन 1922 में वह रामकृष्ण मिशन द्वारा प्रकाशित पत्रिका संबंध में के संपादन से जुड़ गए निराला जी 1923 -1924 में मतवाला के संपादक मंडल में शामिल हुए वह सारे जीवन आर्थिक परेशानी तो भोंकते रहे साथ ही पारिवारिक सुख से भी वंचित रहे स्थाई रूप से कहीं भी कार्य नहीं कर सके क्योंकि वह स्वाभिमानी व्यक्ति थे और अपने व्यक्तित्व से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं कर सकते थे अंत में इलाहाबाद आ कर रहे और सन 1961 में उनका देहांत हुआ निराला का काव्य संसार बहुत व्यापक है उनमें भारतीय इतिहास दर्शन और परंपरा को समझने की अपा...

क्या आपको भी लिखना पसंद है और रचनात्मक लेखन के बारे में कुछ जानकारियां जुटाना चाहते हैं

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जब कभी भी हम किसी भी तरह का रचनात्मक लेखन  शुरू करते हैं तो सर्वप्रथम हमें यह ध्यान देना जरूरी है कि हम उसको लेकर कितने उत्साहित हैं कितने जागरूक हैं और उससे संबंधित विषयों की लगातार पड़ताल करके कितनी जानकारियां इकट्ठा कर पाने में सक्षम है हालांकि शुरुआती दौर में समस्या उत्पन्न हो सकती हैं इसलिए हमें रचनात्मक लेखन से जुड़े लोगों के साथ अपने संबंध कायम करने चाहिए कुछ अच्छे रचनाकारों को पढ़ना चाहिए साथ ही केवल और केवल पढ़ना ही नहीं बल्कि उनके के बारे में जानकारियां इकट्ठा करना भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि वह अपने समय में इतने प्रसिद्ध क्यों है या थे उनकी रचनाओं में ऐसी क्या विशेषता,अलगपन होगा जो उनको साहित्यिक दुनिया अधिक लोकप्रिय बनाने में सक्षम हो पाया इसका आभास आप निरंतर करते रहें और प्रयास करें अपनी कला को अपने ढंग से प्रस्तुत करने की हमेशा याद रहे किसी रचनाकार व उसकी रचनाओं से प्रेरणा लें ना कि उसकी नकल करे क्योंकि पहचान उसी की होती है जो कुछ नया करता है अपने आसपास हो रही घटित घटनाओं देखने का अलग नजरिया दे जो एक नये रूप से उस विषय पर प्रकाश डाल सके आसपास चल रही घटना...

मेरे ना होने पर तुम्हारा एतराज जताना (शेर ओ शायरियों की दुनिया के कुछ नये किस्से)

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मेरे ना होने पर तुम्हारा एतराज जताना मुझे सुकून देता है कोई तो है हां, कोई तो है जो मेरे ना होने पर फिक्र मंद होता है ...... ये इश्क और इश्क का एहसास कितना लाजवाब है चश्म ओ सुकून चाहने वाला ही  इस दिल की प्यास है .......... आंखों में एक इंतजार पल रहा है तुमसे मिलने की राह तक रहा है कई लम्हों बाद एक मुलाकात तो हो  तू मेरे साथ हो और ए मौसम कम से कम हल्की बरसात तो हो  गुमसुम से रहे एक दूसरे में और ये इश्क की प्यास बरकरार रहे

हिंदी ब्लॉग की ऐतिहासिकता की मूलभूत जानकारी

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हिंदी ब्लॉग के बारे में जानें से पहले हमको यह बात जाना जरूरी है कि आखिर ब्लॉग क्या है?? ब्लॉग क्या है ?   ब्लॉग एक तरह की लेखन विधि है जो इंटरनेट पर लिखी जाने वाली प्रक्रिया है  आसान वाक्य में समझा जाए तो हम अपनी सूचना को वेब 2.0 से पहले अपनी  डायरी, किताब लेखन,पत्र, से एक दूसरे को सूचना साझा किया करते थे लेकिन इंटरनेट जैसी संरचना आने के बाद और  वेब 2.0 के विकास हो जाने के बाद ब्लॉग यानी इंटरनेट लेखन की शुरुआत हुई।  हिन्दी ब्लॉग से हमारा क्या मतलब है ?🤔 हिंदी ब्लॉग से हमारा मतलब हिंदी में लिखे जाने वाले  चिट्ठे या ब्लॉग।  आमतौर पर ब्लॉग को हम हिंदी जुबान में चिट्ठे के नाम से जानते है जब हिंदी ब्लॉग कि शुरुआत हुई तब इसका विषय वस्तु व्यक्तिगत दिनचर्या की थी। हिंदी चिट्ठे को लेकर हिंदी भाषी इतना जागरूक भी नहीं थे। एवं इतने हिंदी भाषी लेखन के औजार भी उपलब्ध नहीं थे। आप इस वक्त जो चिट्ठा पढ़ रहे हैं यह भी एक तरह का हिंदी चिट्ठा ही है। ✍🏼आलोक कुमार प्रथम चिट्ठाकार माने जाते हैं हिंदी ब्लॉग जगत में उनका चिट्ठा नौ दो ग्यारह के नाम से रचित किया गय...

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मेरे इस Chanderman blog में आपका स्वागत है यह #Smzhdc के तहत मेरी एक और पोस्ट है